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बहुला चतुर्थी कथा तिथि, समय, विधि और बोल चौथ का महत्व

बहुला चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार है। यह दिन मुख्य रूप से कृषि समुदाय से जुड़े लोगों के लिए समर्पित है। यह त्योहार विशेष रूप से गुजरात में मनाया जाता है, जहां गायों और बछड़ों की पूजा की जाती है। बहुला चतुर्थी या बोल चौथ का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 में, यह पावन दिन 22 अगस्त को मनाया जाएगा।

बहुला चतुर्थी 2024: तिथि और समय

  • चतुर्थी तिथि आरंभ: 22 अगस्त 2024 – दोपहर 01:46 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 23 अगस्त 2024 – सुबह 10:38 बजे
  • गोधूलि पूजा मुहूर्त: 22 अगस्त 2024 – शाम 05:57 से 06:23 बजे तक
  • बोल चौथ के दिन चंद्रोदय: रात 08:11 बजे

बहुला चतुर्थी 2024: महत्व

बहुला चतुर्थी एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो गायों और उनके बछड़ों के सम्मान के लिए समर्पित है। इस दिन को बोल चौथ के रूप में भी जाना जाता है। गायों को समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। भगवान कृष्ण को भी गायों से अत्यधिक प्रेम था और वे सुरभि गायों के प्रति विशेष प्रेम रखते थे। इस शुभ दिन पर, दूध और अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन वर्जित होता है, क्योंकि इनका पूजन होता है।

बहुला चतुर्थी कथा

बहुला चतुर्थी का त्योहार विशेष रूप से गायों की पूजा और सम्मान के लिए समर्पित है। इस पर्व के पीछे एक पौराणिक कथा है, जो इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देती है। आइए जानते हैं इस पावन दिन की कथा:

प्राचीन काल की बात है, गुजरात के एक गांव में बहुला नाम की एक गाय थी। बहुला बहुत ही दयालु और धार्मिक गाय थी। वह हर दिन समय पर घर लौटती थी और अपने बछड़े को दूध पिलाती थी। एक दिन, जब बहुला जंगल में चर रही थी, तो अचानक एक शेर ने उसे देख लिया और उस पर हमला करने के लिए दौड़ पड़ा।

शेर को अपनी ओर आते देख बहुला बहुत डर गई, लेकिन उसने अपना संयम बनाए रखा। बहुला ने शेर से कहा, “हे वनराज, मैं जानती हूं कि आप मुझे मारकर खाना चाहते हैं, लेकिन मैं आपसे एक विनती करती हूं। मेरे घर पर एक छोटा सा बछड़ा है जो मेरा इंतजार कर रहा है। कृपया मुझे जाने दें ताकि मैं उसे दूध पिला सकूं। मैं वादा करती हूं कि दूध पिलाने के बाद मैं स्वयं आपके पास वापस आ जाऊंगी।”

शेर बहुला की सत्यनिष्ठा और मातृत्व प्रेम से प्रभावित हुआ और उसने उसे घर जाने की अनुमति दे दी। बहुला अपने बछड़े को दूध पिलाने के बाद अपने वचन के अनुसार शेर के पास वापस आ गई। शेर बहुला की सत्यता और धार्मिकता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसे जाने दिया और कहा, “तुम्हारी सत्यता और धर्मपरायणता के कारण मैं तुम्हें नहीं मारूंगा। जाओ, अपने बछड़े के साथ सुखी रहो।”

इस घटना के बाद से बहुला चतुर्थी का पर्व मनाया जाने लगा। यह कथा हमें सत्य, धर्म और वचन पालन का महत्व सिखाती है। बहुला चतुर्थी के दिन, भक्तजन गायों की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं, ताकि वे भी जीवन में सत्य और धर्म का पालन कर सकें।

इस दिन की कथा के पीछे यह संदेश छिपा है कि हमें अपने वचन का पालन करना चाहिए और अपने धर्म के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। यही कारण है कि बहुला चतुर्थी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है।

बहुला चतुर्थी 2024: विधि

उपवास: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और दूध एवं अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन नहीं करते।

पूजा (वंदना): इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान भगवान गणेश और गायों के सम्मान में किए जाते हैं। महिलाएं एक वेदी तैयार करती हैं, भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करती हैं, और उन्हें फूल, फल, और मोदक जैसे मिष्ठान्न अर्पित करती हैं। इसके साथ ही गणपति स्तोत्र और मंत्रों का पाठ किया जाता है।

गाय पूजन: लोग पहले अपनी गायों को स्नान कराते हैं और फिर उनके शरीर पर हल्दी और रोली के निशान लगाते हैं। उन्हें घंटी, माला, और कपड़े से सजाते हैं।

भोग अर्पण: गायों को रोटी, गुड़, और हरी सब्जियां खिलाई जाती हैं। वे अपने आभार को व्यक्त करते हैं कि गायें उन्हें दूध प्रदान करती हैं। कई लोग गौशाला जाते हैं और वहां गायों को हरी सब्जियां खिलाकर उनकी पूजा करते हैं।

पारंपरिक भोग: इस शुभ दिन पर लोग नारियल की बर्फी जो गुड़ से बनी होती है, तैयार करते हैं और उसे भगवान कृष्ण और भगवान गणेश को अर्पित करते हैं।

उत्सव: कुछ स्थानों पर बहुला चतुर्थी का आयोजन पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ किया जाता है, जहां वे सभी एकत्रित होते हैं, भोग प्रसाद तैयार करते हैं और भगवान कृष्ण, भगवान गणेश और गायों की पूजा करते हैं। इसके बाद प्रसाद को सभी में वितरित किया जाता है।

परिवारिक एकता: परिवार के सदस्य घर पर पूजा करने के लिए एकत्रित होते हैं, विशेष व्यंजन और मिठाई तैयार करते हैं, और फिर सामूहिक रूप से भोजन का आनंद लेते हैं।

दान: इस दिन दान और चैरिटी में शामिल होना चाहिए। गरीब और जरूरतमंदों को भोजन खिलाने से शुभता बढ़ती है।

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